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जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मुरत देखी तिन तैसी
चलिए, दुनिया से थोड़ा अलग सोचते है – एपिसोड – 1 कोई भी घटना हमें जैसी दिखाई देती है, जरुरी नहीं की वो ठीक वैसी ही हो ! हमें उस घटना का वही स्वरुप दिखाई देगा जिस दृष्टिकोण से हम उस घटना को देख रहे है ! हो सकता है.
- by रत्नपारखी केशव सोनी - आध्यात्मिक गुरु
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सावधान : “अजन्मे-शिशु” देते है “संतान-हीनता” का श्राप
मनुष्य की “उत्पत्ति” का आधार क्या है? संसार में होने वाली हर घटना, उस परमेश्वर की अलौकिक लीला है ! ये घटनाएं पहले ईश्वर के मन में जन्म लेती है, उसके बाद ये तय होता है की इन घटनाओं को कौन और कैसे अंजाम देगा ! इन लीलाओं को अंजाम देने के.
- by रत्नपारखी केशव सोनी - आध्यात्मिक गुरु
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अथर्व वेद के अनुसार – ईश्वरीय शक्तियां कैसे काम करती है?
एपिसोड – 23 ईश्वरीय शक्तियां कैसे काम करती है? कैसे निकाले अपना रुका/अटका हुआ पैसा ? अथर्व वेद संहिता के अनुसार – अचूक उपाय आप ने किसी व्यक्ति के बुरे वक़्त में उसपर भरोसा करके उसे पैसा देकर उसकी सहायता की है, लेकिन अब आपके बुरे वक़्त में वो व्यक्ति.
- by रत्नपारखी केशव सोनी - आध्यात्मिक गुरु
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किसने बांधे ये ‘अदृश्य बंधन’ ।।
पता नहीं कब कैसे, किसने बांधे ये बंधन…?? किसी ने तो बांधे होंगे, तुम्हारे और मेंरे बीच संवेदनाओं में लिपटे ‘अदृश्य बंधन‘।। हाँ शायद वे सपने ही थे….. अपने अपने मन की गीली मिटटी में उकेरे न जाने कब …. एक दुसरे की भावनाओं के हाथ थाम, वे मिला गए.
- by रत्नपारखी केशव सोनी - आध्यात्मिक गुरु
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क्या अभिमन्यु गर्भस्थ-ज्ञान धारण करने वाले इकलौते व्यक्ति है?
हम सभी ये जानते है की अभिमन्यु ने सुभद्रा के गर्भ में रहते अपने पिता से चक्रव्यूह भेदना सीख लिया था ! वैज्ञानिक-अनुसंशान से इतना तो साफ़ हो चूका है कि गर्भ-धारण के 4 माह की अवधी के बाद से गर्भस्थ-शिशु को गर्भ के बाहर की दुनिया का एहसास होने.
- by रत्नपारखी केशव सोनी - आध्यात्मिक गुरु
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श्रीराम या रावण ? कलयुग में तो आप ही तय करेंगे कौन हूँ मै ?
ये कहानी है कलियुग के “रामण” की, जी हाँ सिर्फ “रावण” नहीं और सिर्फ “राम” भी नहीं, रामण – जिसमे श्रीराम भी है और रावण भी ! शास्त्रों में 3 युग के बारे में लिखा गया है किन्तु कलियुग के अवतार के बारे में डिटेल में कुछ नहीं लिखा गया है.
- by रत्नपारखी केशव सोनी - आध्यात्मिक गुरु
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खूबसूरती… आज़ रास्तें पर मुझसे यू टक़रा गई ‘खूबसूरती’ ।
आज़ रास्तें पर मुझसे यू टक़रा गई ‘खूबसूरती’ कुछ़ पतलीं सी,कुछ लचीली सीं,सरक़ते यौवन मे मस्तानीं सी, ‘वो मेरी जान’ ! ब़लखाती थी,ईतराती थी,मदमस्त हवा मे चलीं आती थीं, ‘वो मेरी जान’ ! कुछ रोक़कर उसें,यह प्रश्न पूछ ब़ैठा मैंब़ता बांवरी तेरा नाम़ क्या?वो इतराकर बोलीचल हट दीवाने तेरा क़ाम.
- by रत्नपारखी केशव सोनी - आध्यात्मिक गुरु
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परम-वैरागी कौन था – राजा जनक या गर्भयोगी सुकदेव?
सुकदेव जब गुरू की खोज में निकले, तो उनके पिता ऋषि व्यास जी ने उन्हें राजा जनक को अपना गुरु बनाने की सलाह दी। सुखदेव जब जनक के राजमहल पहुंचे तो उन्होंने देखा कि महाराज जनक तो रत्नजडित सोने के सिंहासन पर विराजमान हैं। अनेक मंत्रीगण उनसे राज्य के सञ्चालन.
- by रत्नपारखी केशव सोनी - आध्यात्मिक गुरु
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प्रेम-दासत्व
मेरा उसका रिश्ता इतनावो इक नदिया मै मरुथल हूँ उसकी सीमा सागर तक हैमेरा कोई छोर नहींमेरी प्यास चुरा ले जाएऐसा कोई चोर नहीं मेरा उसका नाता इतनावो खुशबु मै संगल हूँ वो इक नदिया मै मरुथल हूँ उस पर तैरे दीप-शिखाएंसुनी सुनी मेरी राहेंउसके तट पर भीड़ लगी हैकौन.
- by रत्नपारखी केशव सोनी - आध्यात्मिक गुरु
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कैसे प्रवेश करती है सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा?
ईश्वर जब Positivty और Negativity यानी सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा को धरती पर भेज रहे थे तब दोनों ने ईश्वर से पूछा “प्रभु, आप हमें धरती पर भेज तो रहे है, लेकिन वहाँ हम रहेंगे कहाँ? और हमें वहाँ कबतक रहना होगा? हम जिन्दा कैसे रहेंगे? और हमारी मृत्यु किस.
- by रत्नपारखी केशव सोनी - आध्यात्मिक गुरु
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