प्रेम-दासत्व
मेरा उसका रिश्ता इतनावो इक नदिया मै मरुथल हूँ उसकी सीमा सागर तक हैमेरा कोई छोर नहींमेरी प्यास चुरा ले जाएऐसा कोई चोर नहीं मेरा उसका नाता इतनावो खुशबु मै संगल हूँ वो इक नदिया मै मरुथल हूँ उस पर तैरे दीप-शिखाएंसुनी सुनी मेरी राहेंउसके तट पर भीड़ लगी हैकौन.