"मन" पर नियंत्रण कैसे पाया जाये? Motivation for Mind

कैसे प्रवेश करती है सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा?

ईश्वर जब Positivty और Negativity यानी सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा को धरती पर भेज रहे थे तब दोनों ने ईश्वर से पूछा “प्रभु, आप हमें धरती पर भेज तो रहे है, लेकिन वहाँ हम रहेंगे कहाँ? और हमें वहाँ कबतक रहना होगा? हम जिन्दा कैसे रहेंगे? और हमारी मृत्यु किस तरह होगी?

ईश्वर ने देखा कि नकारात्मक ऊर्जा धरती पर जाने के लिए कुछ ज्यादा ही उतावली हो रही है, तो उन्होंने पहले negativity से ही कहा “देखो Negativity, लगता है धरती पर जाने की तुम्हे कुछ ज्यादा ही जल्दी हो रही है, तो फिर ध्यान से सुनो, धरती पर पहुंचते ही जिस भी चेहरे पर तुम्हे उदासी या मायूसी दिखे, उसकी उदासी को तुम अपना निमंत्रण समझना, और तुरंत उस शरीर को धारण कर लेना !

जैसा तुम्हारा स्वभाव है, उसके अनुसार तुम्हारे लिए दुःख और तनाव का वातावरण ही सबसे उत्तम atmosphere रहेगा, तो तुम जिस शरीर में रहो उस शरीर के दुःख और तनाव को हमेशा बढ़ाते रहना, जिससे तुम मजे से उस शरीर का भोग कर सकती हो !

नकारात्मक ऊर्जा ने उत्सुक होकर पूछा “प्रभु मैं लम्बा जीवन जीना चाहती हूँ, मुझे लम्बा जीवन कैसे मिलेगा? ये भी बता ही दो की मेरी मृत्यु कैसे होगी? 

प्रभु बोले “शिकायते करते रहने से तुम्हे लम्बा जीवन मिलेगा, शिकायते तुम्हारी भूख होगी, और क्रोध तुम्हारा भोजन ! जो लोग तुमसे प्रेम करते है ऐसे लोगो से घृणा करना तो तुम्हारा सबसे स्वादिष्ट भोजन रहेगा, और तुम्हारी प्यास तो सिर्फ आंसू ही बुझा पाएंगे ! घबराहट, चिंता और घुटन तुम्हारी साँसे होगी, जिनके बिना तुम्हारा जिन्दा रहना नामुमकिन होगा ! जिस शरीर में तुम रहोगी वो शरीर हमेशा असहाय रहेगा, तुम्हारा लम्बा जीवन तुम्हारे ही हाथ में रहेगा, तुम्हे उस शरीर से भगाना उस व्यक्ति के बस में नहीं होगा ! तो तुम जिस भी शरीर में जिन्दा रहना चाहती हो, सबसे पहले तुम्हे उसके मष्तिष्क को अपने नियंत्रण में ले लेना, जिससे उसके मस्तिष्क में तुम शिकायते पैदा कर सको ! self destruction यानी स्वयं के विनाश में ही तुम्हे सुकून मिलेगा, तो तुम जिस भी शरीर में वास करो, उसकी बुद्धि भ्रष्ट कर देना, जिससे वो सारे काम उलटे ही करता रहे, उसके सारे काम बिगड़ते रहेंगे, तो उसका स्वभाव चिड़चिड़ा हो जायेगा, और वो सबसे झगड़ा करते फिरेगा ! खुद भी नकारात्मक सोचेगा और दुसरो के अंदर भी नकारात्मकता भरता रहेगा ! उसके मस्तिष्क को ऐसा बना देना की वो अपने और पराये की पहचान को ही भूल जाए ! जो भी उसकी चिंता करे, वो उसी से नफरत करना शुरू कर दे ! और जो लोग उसे नुक्सान पहुँचाना चाहते है उसका इस्तेमाल करना चाहते है, ऐसे गैर व्यक्तियों पर तो वो आँख बंद करके भरोसा करने लगे ! उसे सही और गलत की पहचान ख़त्म हो जाए, और वो अपने हितैषियों से बहुत दूर हो जाए ! जिससे उसे तुमसे बचाने कोई ना आ सके, जिससे उसका एकांत बढ़ेगा और frustration कि वजह से उसकी घुटन बढ़ेगी, बेवजह वो क्रोध करेगा, और अपनों से घृणा करने लगेगा ! तभी उस शरीर में तुम्हारे जिन्दा रहने के लिए एक परफेक्ट वातावरण बन पायेगा ! लेकिन ये भी ध्यान रखना, की एक छोटी सी मुस्कराहट तुम्हारे अंत की शुरुवात हो सकती है ! अगर वो मुस्कराहट खुशियों में बदल गयी तो तुम्हारी मृत्यु निश्चित है ! तो अगर लम्बे समय तक जीवित रहने की इच्छा है, तो जैसे ही तुम्हे उसके चेहरे पर मुस्कराहट दिखाई दे, तुम उसकी बुद्धि हर लेना, या फिर तुरंत उस शरीर को छोड़ कर दूसरा दुखी शरीर पकड़ लेना ! अगर मुस्कराहट आने के बाद भी तुम उस शरीर में रुकी रही, तो खुशियां और आनंद मिलकर तुम्हारी हत्या कर देंगे”

नकारात्मक ऊर्जा को बहुत अच्छे से समझ आ गया की लम्बा जीवन कैसे जिया जाए, उसने देखा की प्रभु उसे देख कर मुस्कुरा रहे है, वो समझ गयी की अब प्रभु के पास रुकना गलत होगा यहाँ से भागने का वक़्त आ गया है, और उसने आव देखा ना ताव तुरंत प्रभु को छोड़ कर भाग खड़ी हुई 

उसके जाने के बाद प्रभु ने देखा की सकारात्मक ऊर्जा अभी भी शांति से वहीं खड़ी है, प्रभु ने मुस्कुरा कर सकारात्मक ऊर्जा से पूछा, “तुम नहीं गयी? क्या तुम्हे भी कुछ पूछना है?”

Positivity ने पूछा “प्रभु आप अन्तर्यामी है, सबके मन की जानते है ! चलिए, अब मुझे भी बता ही दीजिये, कि मैं धरती पर कहा रहूंगी? और मेरा जीवन और मेरी मृत्यु किस तरह होगी?”

प्रभु ने मुस्कुराते हुए कहा “जिस भी चेहरे पर तुम्हे मुस्कराहट दिखाई दे, उस मुस्कराहट को तुम अपना निमंत्रण समझना और तुरंत उस शरीर को धारण कर लेना ! साँसों की तरह संगीत तुम्हारे अंदर जायेगा और गीत बनकर बाहर आएगा ! खुशियां तुम्हारा मुख्य भोजन होगा ! नृत्य और उत्सव तुम्हारे जीने के लिए सबसे बेहतर वातावरण रहेंगे, लेकिन जैसे ही तुम्हे उस शरीर के चेहरे पर उदासी दिखाई दे, तुम तुरंत उस शरीर को बदल देना, अन्यथा तनाव, घुटन, क्रोध और घृणा मिलकर तुम्हारा अंत कर देंगे ! ये भी ध्यान रखना की तुम्हारा जीवन तुम्हारे नहीं मनुष्य के हाथ में रहेगा ! तुम्हे शरीर में रोकने के लिए मनुष्य को बहुत से प्रयत्न करना होंगे ! तुम बहुत सेंसिटिव हो छोटा सा तनाव भी तुम्हारी हत्या कर देगा ! इसका ये मतलब हुआ की मनुष्य को तुम्हे पाने के लिए सिर्फ एक मुस्कराहट काफी होगी, लेकिन तुम्हे रोक पाने के लिए मनुष्य को

स्वयं की शक्ति पर विश्वास रखना होगा !

प्रभु से सकारात्मक ऊर्जा भी बहुत अच्छे से जीवन का पाठ सीख और समझ चुकी थी, जैसे ही उसने प्रभु को मुस्कुराते देखा, उसने तुरंत प्रभु के शरीर को ही धारण कर लिया, उसी दिन से इस धरती पर नकारात्मक ऊर्जा अपने रहने के लिए शरीर ढूंढ रही है, उसे जहा भी तनाव दिखाई देता है, वो वहा वास करना शुरू कर देती है, और मुस्कराहट को देखते ही भाग जाती है, लेकिन जो लोग हमेशा मुस्कुराते रहते है, खुश रहते है, ऐसे व्यक्ति के शरीर को धारण करने के लिए सकारात्मक ऊर्जा प्रभु का शरीर छोड़ कर उस मनुष्य के पास चली आती है

आपकी मुस्कराहट या आपका तनाव ही ये तय करता है की आप अपने शरीर में वास करने के लिए किसे निमंत्रण दे रहे है ? सकारात्मक ऊर्जा को या नकारात्मक ऊर्जा को? सकारात्मक ऊर्जा प्रभु के शरीर से निकलकर आप पर बरसने के लिए तत्पर है, तो हर क्षण मुस्कुराते रहिये, अपने अस्तित्व और अनंत स्वरुप को पहचान कर अपनी क्षमताओं पर विश्वास बनाये रखिये

सस्कारात्मक ऊर्जा आप पर सदैव बरसते रहेगी

इदमस्तु 

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