किसने बांधे ये ‘अदृश्य बंधन’ ।।
पता नहीं कब कैसे, किसने बांधे ये बंधन…?? किसी ने तो बांधे होंगे, तुम्हारे और मेंरे बीच संवेदनाओं में लिपटे ‘अदृश्य बंधन‘।। हाँ शायद वे सपने ही थे….. अपने अपने मन की गीली मिटटी में उकेरे न जाने कब …. एक दुसरे की भावनाओं के हाथ थाम, वे मिला गए.