जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मुरत देखी तिन तैसी
चलिए, दुनिया से थोड़ा अलग सोचते है – एपिसोड – 1 कोई भी घटना हमें जैसी दिखाई देती है, जरुरी नहीं की वो ठीक वैसी ही हो ! हमें उस घटना का वही स्वरुप दिखाई देगा जिस दृष्टिकोण से हम उस घटना को देख रहे है ! हो सकता है